tag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post6642741379687383470..comments2023-05-18T05:39:36.289-07:00Comments on कदम-दर-कदम: शिव कुमार 'साहिल' की ग़ज़लतिलक राज कपूरhttp://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-13687329158454842352010-10-22T11:14:26.082-07:002010-10-22T11:14:26.082-07:00Ia manch ke liye kadam dar kadam aage badhna hai a...Ia manch ke liye kadam dar kadam aage badhna hai aur main SARWARINDIA ki baat se bilkul sahmat hoon..Safar ko Mnazil to nahin kaha ja sakta...Sahil ko meri badhayi v shubhkamnayein<br /><br />आ गया है उसे हुनर ये भी<br />मुस्कुराहट में ग़म छुपाता है।<br />Bahut accha laga yeh sher...<br /><br /><br />मुस्कराहट में ग़म छुपाते हो<br />है ख़ुशी फ़न तुम्हें ये आता है<br />देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-62578811899349504842010-10-22T11:10:26.504-07:002010-10-22T11:10:26.504-07:00mannaey Tilak ji is manch par main SWATI INDIA ki ...mannaey Tilak ji is manch par main SWATI INDIA ki baat se sahmat hoon. Vaise bhi yeh safar hai, likhte rahna aur seekhna. <br />आ गया है उसे हुनर ये भी<br />मुस्कुराहट में ग़म छुपाता है।<br /><br />Main Shiv Kumar sahil ko Badhyi v shubkamna dete hue yahi kahoongi<br /><br />मुस्कराहट में ग़म छुपाते हो<br />है ख़ुशी फ़न तुम्हें ये आता है<br />देवी नागरानीDevi Nangranihttps://www.blogger.com/profile/08993140785099856697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-91034117226174185632010-07-12T08:28:45.719-07:002010-07-12T08:28:45.719-07:00अगली पोस्ट का बेसब्री से इन्तजार है । धन्यवाद।अगली पोस्ट का बेसब्री से इन्तजार है । धन्यवाद।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-73451849950887664982010-07-12T00:58:50.883-07:002010-07-12T00:58:50.883-07:00@शिव कुमार जी
आप तो भाई कुछ ज्यादह ही भावुक हो गय...@शिव कुमार जी<br />आप तो भाई कुछ ज्यादह ही भावुक हो गये ग़ज़ल को लेकर।<br />साहित्य में सलाह प्रचलित रहा है और रहेगा।<br />इस ग़ज़ल के लगभग हर मिसरे में कुछ छूट ली गयी हैं और इसके माध्यम से एक महत्वपूर्ण विश्लेषण मैं अगली पोस्ट के साथ लगाने की कोशिश करूँगा, जो सीखने वालों के लिये विशेष रूप से काम का होगा।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-59165222375970442422010-07-12T00:11:10.644-07:002010-07-12T00:11:10.644-07:00आदरणीय तिलक राज साहब जी
चरणबंदना
सबसे पहले ...आदरणीय तिलक राज साहब जी <br /><br />चरणबंदना <br /> <br />सबसे पहले तो बहुत-बहुत छमा चाहता हूँ । कुछः पारिवारिक समस्या के कारण से नेट पर आ ना सका ! <br />आज मौका मिला तो अपनी गज़ल् पर अनुभबी आदरणीयगणो की टिप्पणियाँ देखकर बहुत अछा लगा अभी मैं ग़ज़ल कि बारीकियों , तकनिकी पक्ष से नवाकिफ , सिखने क़ी कोशिश में लगा हूँ ! खास तोर से मैं बताना चाहुगा के मेरी गज़ल् को आदरणीय तिलक राज साहब जी की इस्लाह् मिली तो मेरी गज़ल् हो पाई हे ,,, वरना बह्रो-बजन मे , मैं कहा ये महारत रखता हूँ ! आप सभी फ़नकारो के आशीर्बाद से धीरे-धीरे सीख jaunga ! <br /> <br />आदरणीय तिलक राज साहब जी का बहुत बहुत धन्यबाद ! <br /><br />चरणबंदना <br /> <br />आपका साहिलAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13680139649745437697noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-74102998958737522662010-07-08T23:12:02.183-07:002010-07-08T23:12:02.183-07:00भूल जाता हूँ खुद को मैं साकी
तू ये पानी में क्या म...भूल जाता हूँ खुद को मैं साकी<br />तू ये पानी में क्या मिलाता है। <br /><br />Vaah!!Prem Farukhabadihttps://www.blogger.com/profile/05791813309191821457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-7087967099884753402010-07-08T23:09:51.454-07:002010-07-08T23:09:51.454-07:00भूल जाता हूँ खुद को मैं साकी
तू ये पानी में क्या म...भूल जाता हूँ खुद को मैं साकी<br />तू ये पानी में क्या मिलाता है। <br /><br />Vaah!!Prem Farukhabadihttps://www.blogger.com/profile/05791813309191821457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-86776069833599331522010-07-08T20:57:24.618-07:002010-07-08T20:57:24.618-07:00इस बार की ग़ज़ल प्राप्त हुई है शिव कुमार "सा...इस बार की ग़ज़ल प्राप्त हुई है शिव कुमार "साहिल " जी से जो हिमाचल प्रदेश के छोटे से गांव गुरुप्लाह, जिला - ऊना के निवासी हैं। कहते हैं कि अभी ग़ज़ल कि बारीकियों व तकनिकी पक्ष से नवाकिफ हैं, सीखने क़ी कोशिश में लगे हैं।<br /><br /><br /><br />ढूंढता है मुझे अकेले में<br />जब मिले तो नज़र चुराता है<br /><br />आ गया है उसे हुनर ये भी<br />मुस्कुराहट में ग़म छुपाता है।<br /><br />जब कभी दिल जला तो आँखों से<br />गर्म पानी छलक ही जाता है।<br /><br />कपूर साहब! आपके द्वारा प्रस्तुत इस गजल में ये तीन शेर जहन को छूते हैं..<br /><br />बधाइयां !!kumar zahidhttps://www.blogger.com/profile/16434201158711856377noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-25224081440991547532010-07-07T21:07:50.731-07:002010-07-07T21:07:50.731-07:00आ गया है उसे हुनर ये भी
मुस्कुराहट में ग़म छुपाता...आ गया है उसे हुनर ये भी<br />मुस्कुराहट में ग़म छुपाता है।<br /><br />भूल जाता हूँ खुद को मैं साकी<br />तू ये पानी में क्या मिलाता है।<br /><br />जब कभी दिल जला तो आँखों से<br />गर्म पानी छलक ही जाता है।<br /><br /><br />चाँद बैठा हुआ है पहरे पर<br />कौन तारे यहॉं चुराता है? <br />वाह साहिल जी ने कितने खूबसूरत शेर कहे हैं। बधाई उन्हें।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-59774584898929080902010-07-07T08:06:18.362-07:002010-07-07T08:06:18.362-07:00जब कभी दिल जला तो आँखों से
गर्म पानी छलक ही जाता ह...जब कभी दिल जला तो आँखों से<br />गर्म पानी छलक ही जाता है।<br /><br />Aha Shiv ki gazlen hamesha hi dil chhu jaati hai<br />bahut kamaal ki gazal kahi haiश्रद्धा जैनhttps://www.blogger.com/profile/08270461634249850554noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-10420270972954469682010-07-06T01:17:17.606-07:002010-07-06T01:17:17.606-07:00अंतराल के बाद सर्वत साहब लौट आये हैं। अब फिर सभी क...अंतराल के बाद सर्वत साहब लौट आये हैं। अब फिर सभी की सक्रियता बढ़नी चाहिये। उनसे पूरी तरह सहमत हूँ, आरंभ में शाइर को हौसला देने की ज़रूरत होती है।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-60409067349068264012010-07-06T01:13:56.157-07:002010-07-06T01:13:56.157-07:00सर्वत साहब से मेल पर प्राप्त (माडरेशन में कुछ समस...सर्वत साहब से मेल पर प्राप्त (माडरेशन में कुछ समस्या आने से पेस्ट कर काम चला रहा हूँ):<br />इस गजल पर कहने के लिए बचता ही क्या है. 'साहिल' ने बिलकुल उस्तादाना तेवर दिखाए हैं. मुझे तो कहीं भी कोई रेखा या बिंदु लगाने की जरूरत महसूस ही नहीं होती. साहिल को शायद एक वर्ष से पढ़ रहा हूँ और आज यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि इस लड़के ने बहुत मेहनत की है. जब मेहनत साफ़ नजर आ रही हो तो उसकी सराहना होनी चाहिए. <br />हम, उम्र में बड़े, कविता में थोड़ा अनुभव प्राप्त लोगों को ऐसे प्रयासों की तारीफ करनी चाहिए न कि अपनी विद्वता का प्रदर्शन. साहिल का यह प्रयास उन नए गजलकारों के लिए एक प्रेरणा है जो गजल के क्षेत्र में प्रयासरत हैं. मैं समझता हूँ नई पौध शायद हम से ज्यादा बुद्धिमान है और उसमें सीखने की ललक भी है.<br />जिंदाबाद साहिल. तुमने खुद को साबित कर दिया.तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-9218559287416199562010-07-06T00:58:28.413-07:002010-07-06T00:58:28.413-07:00इस गजल पर कहने के लिए बचता ही क्या है. 'साहिल...इस गजल पर कहने के लिए बचता ही क्या है. 'साहिल' ने बिलकुल उस्तादाना तेवर दिखाए हैं. मुझे तो कहीं भी कोई रेखा या बिंदु लगाने की जरूरत महसूस ही नहीं होती. साहिल को शायद एक वर्ष से पढ़ रहा हूँ और आज यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं कि इस लड़के ने बहुत मेहनत की है. जब मेहनत साफ़ नजर आ रही हो तो उसकी सराहना होनी चाहिए. <br />हम, उम्र में बड़े, कविता में थोड़ा अनुभव प्राप्त लोगों को ऐसे प्रयासों की तारीफ करनी चाहिए न कि अपनी विद्वता का प्रदर्शन. साहिल का यह प्रयास उन नए गजलकारों के लिए एक प्रेरणा है जो गजल के क्षेत्र में प्रयासरत हैं. मैं समझता हूँ नई पौध शायद हम से ज्यादा बुद्धिमान है और उसमें सीखने की ललक भी है.<br />जिंदाबाद साहिल. तुमने खुद को साबित कर दिया.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-7111421015567416129.post-12563189842225758682010-07-05T11:22:32.433-07:002010-07-05T11:22:32.433-07:00चाँद बैठा हुआ है पहरे पर
कौन तारे यहॉं चुराता है? ...चाँद बैठा हुआ है पहरे पर<br />कौन तारे यहॉं चुराता है? <br />बहुत खूबसूरत गज़ल ... शुक्रिया आपका ऐसी खूबसूरत गज़ल से रूबरू करने का .........Padm Singhhttps://www.blogger.com/profile/17831931258091822423noreply@blogger.com